हिंदी शायरी एवं कविताएँ


तेरी यादें हसीन है जहाँ की बातों से ,
यकीं न हो जो पूछ लो तन्हा रातों से ।
तेरे तोहफे तो लौटा दिए थे मैंने मगर ,
चुराके रखें हैं कई पल मुलाकातों से ।

कभी मुस्कान बन जाते हैं ये होठों की ,
तो बरसते हैं कभी दर्द बनके आँखों से ।
छुपाये रखे हैं जो याद हमने सीने में ,
महकते है वो अब भी मेरी सांसों से ।

चले जाये कहीं भी दूर यारा हम तुमसे,
की दूर जा नही पाए इन जज्बातों से ।
 जीत के आ गये दुनिया की हर मुश्किल,
लेकिन हार गये हम तुम्हारी यादों से !!!!!!!!!!!!!
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बड़ी अजीब है ये दिल की दास्ताँ यारों ,
हम कहते भी रहे और छुपाते भी रहे ।

एक ही बात जो दिल का कभी शुकून बनी ,
 वही बात फिर दिल को जलाते भी रहे ।

जिस तमन्ना में जिन्दगी गुजरी सारी ,
उसी से दामन हम अपना छुड़ाते भी रहे ।

अपने हाथों से जिन खाबों को तोडा किये ,
 फिर वही टूटे हुए तार मिलाते भी रहे ।

कभी तो सह लिए तूफान के बवंडर भी ,
जरा सी बात पे कभी आंसू बहते भी रहे ।

कभी धिक्कारा इस दिल को नादानी पे ,
कभी टूटा दिल तो ढाढस बंधाते भी रहे ।

खताएं जो भी की सब इस दिल ने ही की ,
अपने दिल को कुसूरवार ठहराते भी रहे ।

ये जताती भी रही दिल है बेईमान बड़ा ,
और इसकी बात में नादान हम आते भी रहे ।
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इतना रोशन था दिल मेरा मुझे सूरज की भी ज़रूरत न थी,
आज अँधेरी गलियों में " " रौशनी के लिए भटकता है.
कभी दिखती थी अपनी परछाई अंधेरों में भी मुझे,
आज मेरा ही साया मुझे उजालों तक में नहीं दीखता है.

सोचा था होगी मौत मेरी किसी अनजाने दुश्मन के हाथ से,
आज रहनुमा भी मेरा मेरे क़त्ल का शौक रखता है.
मेरा तो दिल रोता था दुश्मनों की भी मजार पर,
आज हर बावफा दोस्त मेरा मेरी ही कबर पे मिटटी रखता है.

कभी तपते रेगिस्तान की धूल में भी मैं गहरी नींद सोता था,
आज मेरा आशियाना भी मुझे सुकून से सोने नहीं देता है.
तेरा आँचल ही मेरी जीनत था ‘माँ’ पर अब तू ख़ुद जन्नत में है,
रोना चाहता हूँ ‘माँ’ पर तेरे दर्द का एहसास रोने भी नहीं देता है

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कोई जख्मो पे जब मरहम लगा देता है ,
कई दर्द उठ के , दिल को रुला देता है |

दुश्मन यादें है जो , जीने भी नही देते ,
और रो भी नही पाते , की हंसा देता है |

कुछ अपने हैं जो अपने से नही लगते ,
कहीं तो गैर को खुदा अपना बना देता है |

पास सागर के भी प्यासे ही रह जाते हैं,
कहीं दो बूंद भी मरते को जिला देता है | .......

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उसके प्यार में दिल इस तरह बीमार रहा ,
दर्द पा कर भी उसी का ये तलबगार रहा ।
बेवफा प्यार के सितम हैं गंवारा इसको ,
जहाँ के रुतवे भी दिल के लिए बेकार रहा ।

कितना समझाया की नादान मेरी मान ले तू ,
मगर हर सीख से मेरी इसे इनकार रहा ।
अब न ये मिला, न वो मिला, गया सबकुछ ,
दरबदर यार - यार करके अब पुकार रहा ।

खुदा को कोस रहा उसकी खुदाई के लिए ,
जहाँ की बातों पे दिल को न ऐतवार रहा ।
जो मिला उसको तो दिल ये अपना न सका ,
जो मिला न,उसकी खातिर खुद को मार रहा 

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हार गए करके किस्मत से हम गिला,
दिल ने जो भी चाहा वो ही नहीं मिला ।
माँगा भी क्या ऐसा जो दे न वो सका,
हर मोड़ पे बस तोड़ता रहा है हौसला। 

जब भी कोई ख़ाब लगा आखों में बसने,
छीन लिया आँखों से सपनों का सिलसिला ।
खुशियों में शरीक थे , साथी कई मगर ,
जब मुश्किलें आई तो , तन्हा ही मै चला ।

इल्तजा थी दिल की ये , करीब वो रहें ,
लिख दिया नसीब ने,उन्ही से फ़ासला ।
रोते रहे , हँसते रहें , बस सोच के यही ,
कोई क्या करे, ये है किस्मत का फैसला ।

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मै किसको दिखलाऊँ दिल के जख्म , बताओ तो यारों,
दिन -दिन बढ़ता ही जाता है , दर्द भला ये क्यों यारों ।

झूठी लगती है दुनियां की , प्यार - वफा वाली बातें,
दुश्मन को भी धोखे से ये , रोग कभी न हो यारों।

सौ जन्मों की कसमें खाई , प्यार निभाने की लेकिन,
सात पलों के बाद ही सारी , बातें भूलें वो यारों ।

दीवानापन क्या होता है , उनको इल्म ये हो जाता ,
मेरे जैसे वो भी अपना , दिल जो जातें खो यारों

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बावजूद इसके तेरा साथ निभाया मैंने
तू फटा नोट था पुरे में चलाया मैंने
उम्र भर कोई मददगार मयसर ना हुआ
अपनी पहचान का खुद बोझ उठाया मैंने
तुझसे शर्मिंदा हूँ दो वक़्त की रोटी के लिए
…ज़िन्दगी तुझको बहुत नाच नचाया मैंने
अब तो कतरे भी समझने लगे खुद को दरिया
मैं समंदर था किसी को ना बताया मैंने
पांव में बांध ली जंजीर ख़ुशी से लेकिन
ताज रखने के लिए सर ना झुकाया मैंने ..
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दर्द देकर भी वो दिल के क़रीब रहते हैं
ज़ख्म देते हैं क्यूँ हम दोस्त जिन्हें कहते हैं
उनकी मुस्कान पे हम अपना दिल गवाँ बैठे
एक मुस्कान से हम लाखों सितम सहते हैं
कल तलक लगता था नसीब कोई चीज़ नहीं
आपके साथ को अब हम नसीब कहते हैं
जाने किस बात की सज़ा है दी मोहब्बत ने
अब न जीते हैं सनम और हम न मरते हैं

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3 comments:

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